उच्चतम न्यायलय ने पंजाब हरयाणा हाई कोर्ट बनाम मेघराज गर्ग में दिनांक २० मई, २०१० को यह निर्णय दिया है कि नौकरी पाने के बाद यदि विद्यालय प्रमाण पत्र में जन्मतिथि संशोधित की जाती है तो सरकार या सम्बंधित विभाग उस संशोधित जन्मतिथि के अनुसार सेवा पुस्तिका में संशोधन करने के लिए बाध्य नहीं है।
इस मामले में एक न्यायिक अधिकारी ने नौकरी पाने के दस साल बाद विश्वविद्यालय के प्रमाण पत्र में अपनी जन्मतिथि बदलवाया था और राज्य सरकार तथा उच्च न्यायलय प्रशासन से यह अनुरोध किया था कि प्रमाणपत्र में संशोधित जन्मतिथि के अनुरूप उसकी सेवा पुस्तिका में भी जन्मतिथि संशोधित किया जाए ।
प्रार्थना पत्र अस्वीकार होने पर उसने दीवानी वाद प्रस्तुत किया जिसे अधीनस्थ न्यायलय तथा उच्च न्यायलय ने भी उसके पक्ष में डिक्री करते हुए सेवा पुस्तिका में जन्म तिथि संशोधित करने का आदेश पारित किया था। उच्चतम न्यायलय ने उच्च न्यायलय प्रशासन की अपील मंजूर करते हुए वाद को अस्वीकार एवं डिक्री को अपास्त कर दिया।
शुक्रवार, 11 जून 2010
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