इलाहबाद उच्च न्यायालय के एक खंड पीठ ने दिनांक २६/०२/२०१० को एक व्यापक दिशा निर्देश जारी करते हुए पुलिस प्रशासन को यह निर्देश दिया है कि घरेलू हिंसा , दहेज़ उत्पीड़न , एवं अन्य साधारण वैवाहिक अपराधों में केवल प्राथमिकी दर्ज होने के आधार पर अभियुक्तों को पुलिस गिरफ्तार न करे। अपितु , विवाद को पहले न्यायलय के मध्यस्थता केंद्र या जहाँ मध्यस्थता केंद्र स्थापित नहीं हुए है, वहां पुलिस के मध्यस्थता प्रकोष्ठ में भेजे और मध्यस्थता के असफल होने तथा अपराध के गंभीर होने पर ही गिरफ्तारी करे।
उच्च न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया है कि जिला मजिस्ट्रेट , वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक तथा जिलाधिकारी के द्वारा मानिटरिंग सेल की मासिक बैठक में उक्त प्रकार के विवादों की नियमित समीक्षा की जाये। न्यायलय द्वारा दिए गए दिशा निर्देश के पूर्ण उद्धृत पाठ के लिए इससे ठीक पहले अंग्रेजी में लिखा गया पोस्ट (mediation in matrimonial offences) देखें ।
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आदरणीय आपका यह ब्लाग प्रयास सराहनीय है.
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